इस बात मे कोई शक नही उत्तराखंड की धरती देव मुनियों की धरती है,
यह वही धरती है जहाँ पर गंगा को धरती पर पहली बार उतारा गया,यह वही धरती है, जहाँ शिव ने पार्वती से शादी की |
नंद राजजाट के बारे में संक्षिप्त जानकारी :-
नंदा देवी उत्तराखंड के घर घर पूजी जाती है |
वैसे तो हर साल नन्दाजात का आयोजन की प्रथा है परन्तु बारहवें वर्ष पर
भव्य और मनोरंजक राजजात किया जाता है।
राजजात या नन्दाजात का अर्थ है राज राजेश्वरी नन्दादेवी की यात्रा।
उत्तराखंड में देवी देवताओं की जात बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। जात का अर्थ होता है देवयात्रा।
राजजात या नन्दाजात देवी नन्दा की अपने मैत (मायके) से एक सजीं संवरी दुल्हन
के रुप में ससुराल जाने की यात्रा है। ससुराल को स्थानीय भाषा में सौरास
कहते हैं। इस अवसर पर नन्दादेवी को सजाकर डोली में बिठाकर एवं वस्र,
आभूषण, खाद्यान्न, कलेवा, दूज, दहेज आदि उपहार देकर पारम्परिक
की विदाई की तरह विदा किया जाता है।
इस यात्रा में लगभग 280 किलोमीटर की दूरी, नौटी से होमकुण्ड तक,
पैदल करनी पड़ती है। इस दौरान घने जंगलों पथरीले मार्गों, दुर्गम चोटियों
और बर्फीले पहाड़ों को पार करना पड़ता है।
यात्रा की कठिनता और दुरुहता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है
कि बाणगांव से आगे रिणकीधार से यात्रियों को नंगे पांव चलकर लगभग
17000 फीट की ऊँचाई पार करनी पड़ती है।
रिणकीधार से आगे यात्रा में काफी प्रतिबन्ध भी है जैसे स्रियाँ, बच्चे,
चमड़े की बनी वस्तुएं, गाजे-बाजे, इत्यादि निसिद्ध है।
सम्भवत :- यह विश्व की सबसे लम्बी, दुर्गम ओर कठिन धर्मयात्रा है।
इसे केवल समर्पित एवं निष्ठावान व्यक्ति ही कर सकते हैं।
हजारों श्रद्धालु आज भी इस यात्रा को पूरा करते हैं |
मां नंदा देवी _/\_
Nanda Raj Jat 2013
29 August to 16 september 2013 गढ़वाल का महाकुंभ कहे जाने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा का विधिवत कार्यक्रम घोषित कर दिया गया। वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ब्राह्मणों ने पंचाग गणना के बाद तय किया कि इस साल यात्रा 29 अगस्त से 16 सितंबर तक चलेगी।
29 August to 16 september 2013 गढ़वाल का महाकुंभ कहे जाने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा का विधिवत कार्यक्रम घोषित कर दिया गया। वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ब्राह्मणों ने पंचाग गणना के बाद तय किया कि इस साल यात्रा 29 अगस्त से 16 सितंबर तक चलेगी।
NANDA DEVI RAJJAT 2013 PROGRAM and Route Map
नौटी (चमोली) में नंदा देवी मंदिर (सिध्पीठ)
DAY | DATE | JOURNEY | ALTITUDE(METERS ABOVE SEA LEVEL) | DISTANCE IN KM |
1. | 29-08-2013 | Nauti to Iravadhani | 1240 | 10 |
2. | 30-08-2013 | Iravadhani to Nauti | 1650 | 10 |
3. | 31-08-2013 | Nauti to Kansuwa | 1530 | 10 |
4. | 01-09-2013 | Kansuwa to Sem | 1530 | 10 |
5. | 02-09-2013 | Sem to Koti | 1630 | 10 |
6. | 03-09-2013 | Koti to Bhagoti | 1500 | 12 |
7. | 04-09-2013 | Bhagoti to Kulsari | 1050 | 12 |
8. | 05-09-2013 | Kulsari to Chepdyun | 1165 | 10 |
9. | 06-09-2013 | Chepdyun to Nandkesari | 1200 | 05 |
10. | 07-09-2013 | Nandkesari to Faldiagaon | 1480 | 10 |
11. | 08-09-2013 | Faldiagaon to Mundoli | 1750 | 10 |
12. | 09-09-2013 | Mundoli to Vaan | 2450 | 15 |
13. | 10-09-2013 | Vaan to Gairoli Patal | 3032 | 10 |
14. | 11-09-2013 | Gairoli Patal to Pathar Nachauniyan | 3650 | 12 |
15. | 12-09-2013 | Pathar Nachauniyan to Shila Samudra | 4210 | 15 |
16. | 13-09-2013 | Shila Samudra to Homkund (4450) for Nandanavmi and return to Chandniaghat at 10:45AM after pooja. | 4010 | 16 |
17. | 14-09-2013 | Chandniaghat to Sutol | 2192 | 18 |
18. | 15-09-2013 | Sutol to Ghat | 1331 | 25 |
19. | 16-09-2013 | Ghat to Nauti(By Bus) | 1650 | 60 |
Total Days :- 19 Total Distance :- 280KM |
नौटी (चमोली) में नंदा देवी मंदिर (सिध्पीठ)
यहाँ से आरम्भ होती है-
नंदा राज जात - विश्व की सबसे लम्बी,
दुर्गम ओर कठिन धर्मयात्रा और
विदा की जाती है नंदा की डोली।
हर बारह साल बाद होने वाली राजजात की पूजा नौटी गांव में शुरू होती है
- नंदादेवी राजजात उत्तराखंड की एक अनूठी देव यात्रा है
- नंदादेवी मंदिर से 280 किलोमीटर की यात्रा करके त्रिशूल
पर्वत के तलहटी पर जाकर संपन्न होती है
नंदा राज जात - विश्व की सबसे लम्बी,
दुर्गम ओर कठिन धर्मयात्रा और
विदा की जाती है नंदा की डोली।
हर बारह साल बाद होने वाली राजजात की पूजा नौटी गांव में शुरू होती है
- नंदादेवी राजजात उत्तराखंड की एक अनूठी देव यात्रा है
- नंदादेवी मंदिर से 280 किलोमीटर की यात्रा करके त्रिशूल
पर्वत के तलहटी पर जाकर संपन्न होती है
इस वर्ष 2013 जून में केदारनाथ सहित क्षेत्रों में आई आपदा के चलते इसे इस वर्ष भी राजजात स्थगित किया गया है।
12 साल के अंतराल में कभी नहीं हुई राजजात
राजजात आयोजित करने की धार्मिक परंपरा भले ही प्रत्येक 12 साल की है, लेकिन अभिलेख इस बात की
पुष्टी नहीं करते। मां नंदा को हिमालय भेजने की यह ऐतिहासिक यात्रा वर्ष 1843 से लेकर 2000 तक के
आयोजन में कभी भी नियमित 12 साल के अंतराल में आयोजित नहीं हो पाई है।
280 किमी की यह यात्रा गढ़वाल और कुमाऊं की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत मानी जाती है।
गढ़वाल राजा द्वारा प्रति 12 वर्ष में मां नंदा की हिमालयी यात्रा के राजशाही दौर के प्रमाण उपलब्ध नहीं है,
लेकिन जब से इस यात्रा के प्रमाण मिले हैं, यह कभी भी 12 साल के अंतराल में नहीं हुई है।
यहां तक कि वर्ष 1925 के बाद यात्रा 26 साल के अंतराल में वर्ष 1951 में हुई, लेकिन खराब मौसम के चलते यह
पूरी नहीं हो सकी। वर्ष 1987 के बाद भी 13 साल बाद पिछली बार 2000 में हुई थी।
राज्य निर्माण के बाद पहली बार आयोजित होने वाली मां श्रीनंदा राजजात को जहां वर्ष 2012 में भादो माह
में मलमास के कारण एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया था, वहीं इस वर्ष यह जून में केदारनाथ सहित क्षेत्रों
में आई आपदा के चलते इसे इस वर्ष भी स्थगित किया गया है।
कब-कब हुई राजजात राजजात समिति के अभिलेखों के अनुसार हिमालयी
महाकुंभ श्रीनंदा देवी राजजात वर्ष 1843, 1863, 1886, 1905, 1925, 1951, 1968, 1987 तथा 2000 में आयोजित
हो चुकी है।
राजजात आयोजित करने की धार्मिक परंपरा भले ही प्रत्येक 12 साल की है, लेकिन अभिलेख इस बात की
पुष्टी नहीं करते। मां नंदा को हिमालय भेजने की यह ऐतिहासिक यात्रा वर्ष 1843 से लेकर 2000 तक के
आयोजन में कभी भी नियमित 12 साल के अंतराल में आयोजित नहीं हो पाई है।
280 किमी की यह यात्रा गढ़वाल और कुमाऊं की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत मानी जाती है।
गढ़वाल राजा द्वारा प्रति 12 वर्ष में मां नंदा की हिमालयी यात्रा के राजशाही दौर के प्रमाण उपलब्ध नहीं है,
लेकिन जब से इस यात्रा के प्रमाण मिले हैं, यह कभी भी 12 साल के अंतराल में नहीं हुई है।
यहां तक कि वर्ष 1925 के बाद यात्रा 26 साल के अंतराल में वर्ष 1951 में हुई, लेकिन खराब मौसम के चलते यह
पूरी नहीं हो सकी। वर्ष 1987 के बाद भी 13 साल बाद पिछली बार 2000 में हुई थी।
राज्य निर्माण के बाद पहली बार आयोजित होने वाली मां श्रीनंदा राजजात को जहां वर्ष 2012 में भादो माह
में मलमास के कारण एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया था, वहीं इस वर्ष यह जून में केदारनाथ सहित क्षेत्रों
में आई आपदा के चलते इसे इस वर्ष भी स्थगित किया गया है।
कब-कब हुई राजजात राजजात समिति के अभिलेखों के अनुसार हिमालयी
महाकुंभ श्रीनंदा देवी राजजात वर्ष 1843, 1863, 1886, 1905, 1925, 1951, 1968, 1987 तथा 2000 में आयोजित
हो चुकी है।
very adventurous travelling.i want to participate. dilip from bikaner rajasthan
ReplyDelete