घुघुती के बारे मैं आपने सुना भी होगा और घुघुती को देखा भी होगा |
घुघुती कि आवाज सुनने के लिए लोग तरस जाते हैं, जो एक एक बार कि घुघुती
के सुरीली घुरून सुन ले वो कभी भी घुघुती को भूल नहीं सकता है |
और इसकी उस सुरीली आवाज को सुनने के लिए बार बार जी करता है,
उत्तराखंड कि पहाडियों मैं पायी जाती है और ये घुघुती इन पहाडियों मैं कम
से कम 7 महीने तक यहीं रहती है और इसकी सुरीली आवाज आप केवल
चैत के महीने से सुननी सुरु हो जाती है और चैत महीने मैं तो इसकी कुधेड़
आवाज को बार बार सुनने को जी करता है | इस घिघुती पक्षी के ऊपर उत्तराखंड गायकों ने भी कई सुरीले गीत भी गाये हैं
जिनमें गोपाल बाबू गोस्वामी जी का गीत बहुत है प्रशिध है :-
घुघुती ना बासा,
आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा ssss,
आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।
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